चंडीगढ़। पंजाब में हाल ही के दिनों में आई बाढ़ ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। लगातार भारी बारिश, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर में जलग्रहण क्षेत्रों से पानी आने और भाखड़ा-रंजीत सागर बांधों से अतिरिक्त जल छोड़े जाने के कारण राज्य के 12 जिलों के 1000 से अधिक गाँव जलमग्न हो गए हैं। अब तक 2.5 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए और 29 मौतें दर्ज की गई हैं। लाखों एकड़ कृषि भूमि डूबने से किसान सबसे ज्यादा परेशान हैं।
सबसे अधिक प्रभावित जिले
बाढ़ का सबसे ज्यादा असर गुरदासपुर, अमृतसर, फिरोजपुर, फाजिल्का, मानसा, कपूरथला, पठानकोट, तरनतारन और होशियारपुर में देखा गया।
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गुरदासपुर: सबसे ज्यादा लोग प्रभावित (1.45 लाख), 321 गाँव डूबे।
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अमृतसर: सबसे अधिक फसल नुकसान, लगभग 23,000 हेक्टेयर भूमि प्रभावित।
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मानसा और कपूरथला: 14–17 हजार हेक्टेयर फसलें बर्बाद।
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तरनतारन व फिरोजपुर: 10–11 हजार हेक्टेयर फसलें डूब गईं।
इस तरह पंजाब के कृषि क्षेत्र को बड़ा झटका लगा है।
बाढ़ के कारण
हालात बिगड़ने के पीछे केवल सतलुज नदी नहीं, बल्कि कई वजहें रही हैं:
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रिकॉर्ड तोड़ मॉनसूनी बारिश (कुछ जिलों में सामान्य से 300% अधिक)।
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सतलुज के साथ-साथ ब्यास और रावी नदियों में उफान।
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हिमाचल व जम्मू-कश्मीर में बारिश और बांधों से अचानक पानी छोड़ा जाना।
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भाखड़ा और पौंग बांधों की क्षमता से अधिक जलस्तर।
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पुराने बांधों, नालों में गाद व समय पर सफाई की कमी।
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पहाड़ों में क्लाउडबर्स्ट और भूस्खलन।
इन सभी कारकों ने मिलकर पंजाब को गंभीर बाढ़ संकट में धकेल दिया।
बचाव और राहत कार्य
बाढ़ प्रभावितों को बचाने और राहत पहुंचाने में कई एजेंसियां सक्रिय हैं:
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NDRF: फंसे लोगों को निकालना, प्राथमिक चिकित्सा और राहत सामग्री वितरण।
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सेना व BSF: नाव, हेलीकॉप्टर और रस्सियों से रेस्क्यू, अस्थायी पुल और रास्ते खोलना।
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राज्य सरकार व प्रशासन: 129 राहत शिविर, भोजन, पानी, स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना।
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पंचायती राज संस्थाएं: गाँव स्तर पर प्रभावितों की सूची, राहत वितरण और प्रशासन को मदद।
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समाजसेवी संगठन व गुरुद्वारे: भोजन, कपड़े और दवाइयों की व्यवस्था।
अब तक 15,688 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया है।
आगे की स्थिति
मौसम विभाग ने 3 सितंबर तक भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है। यदि हिमाचल में बारिश जारी रही तो हालात और बिगड़ सकते हैं।
संक्षिप्त
पंजाब में आई बाढ़ ने हजारों लोगों का घर-बार, लाखों किसानों की फसल और राज्य की अर्थव्यवस्था को गहरा नुकसान पहुँचाया है। सरकार, सेना, NDRF और सामाजिक संगठन मिलकर राहत कार्य चला रहे हैं, लेकिन आगे की चुनौतियाँ अभी भी गंभीर हैं। इस आपदा ने राज्य में बेहतर जल निकासी प्रणाली, मजबूत बांध रखरखाव और दीर्घकालिक आपदा प्रबंधन योजना की तत्काल जरूरत को उजागर किया है।