रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज अपना 64वां जन्मदिन मनाया। किसानों के हितों की लड़ाई, छत्तीसगढ़ी संस्कृति के संवर्धन तथा अपने बेबाक और आक्रामक राजनीतिक अंदाज के लिए विख्यात बघेल जी को जनमानस स्नेहपूर्वक ‘कका’ कहकर पुकारता है।
बघेल जी का जन्म 23 अगस्त 1960 को दुर्ग जिले की पाटन तहसील के ग्राम कुरुदडीह में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। किसान परिवार से निकलकर उन्होंने राजनीति में लंबा सफर तय किया और छत्तीसगढ़ के तीसरे निर्वाचित मुख्यमंत्री बने।
अपने पांच वर्षीय कार्यकाल में बघेल जी ने किसानों की बेहतरी और छत्तीसगढ़ी संस्कृति के संरक्षण को प्राथमिकता दी। इस दौरान धान खरीदी, कर्ज माफी, गोधन न्याय योजना तथा राजीव गांधी किसान न्याय योजना जैसी ऐतिहासिक योजनाएँ लागू की गईं। साथ ही, हरेली, पोला और तीज जैसे पारंपरिक पर्वों को मुख्यमंत्री निवास में मनाने की परंपरा शुरू की, जिससे छत्तीसगढ़ी संस्कृति को नई पहचान मिली।
जन्मदिन की पूर्व संध्या पर बघेल जी ने रायपुर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ ईडी कार्यालय के घेराव में भाग लिया। इस दौरान उनके उत्साह और जोश को देखकर कार्यकर्ताओं ने उन्हें अपने कंधों पर उठा लिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो साझा करते हुए कहा—
“अभी तक ऐसा बैरिकेड नहीं बना जिसकी ऊंचाई हमारे कार्यकर्ताओं के हौसले से ज्यादा हो। लड़ेंगे, जीतेंगे।”
आज अपने जन्मदिन पर उन्होंने परिवार के साथ समय बिताया और पत्नी श्रीमती मुक्तेश्वरी बघेल के साथ तस्वीरें साझा कीं। उन्होंने संदेश में लिखा—
“जन्मदिन की शुरुआत मुक्तेश्वरी जी के साथ।”
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने उल्लेख किया—
“बच्चे सुबह का इंतजार नहीं करते। अर्धरात्रि ही केक काटने का आदेश हुआ, जिसका मैंने अक्षरशः पालन किया।”
बघेल जी ने राजनीति की शुरुआत युवा कांग्रेस से की थी। वर्ष 1993 में पहली बार पाटन विधानसभा से विधायक चुने गए और लगातार पांच बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी मोतीलाल साहू को पराजित कर कांग्रेस को ऐतिहासिक जीत दिलाई और 17 दिसंबर 2018 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने 15 वर्षों बाद राज्य में सत्ता में वापसी की। विशेष बात यह रही कि बघेल छत्तीसगढ़ के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जो सीधे विधानसभा चुनाव जीतकर इस पद पर आसीन हुए।
छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूपेश बघेल का योगदान उल्लेखनीय रहा है। किसान हितों की रक्षा, संस्कृति का संवर्धन और आक्रामक नेतृत्व शैली ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाया। आज 64 वर्ष की आयु में भी उनकी राजनीतिक सक्रियता और ऊर्जा उनके नेतृत्व को अलग पहचान देती है।