रायपुर। छत्तीसगढ़ राजस्व निरीक्षक संघ ने अपनी लंबित मांगों के निराकरण हेतु शासन को ज्ञापन सौंपते हुए चेतावनी दी है कि यदि 18 अगस्त 2025 तक ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो संगठन शासकीय ऑनलाइन कार्यों का बहिष्कार करते हुए आंदोलन की राह अपनाने पर बाध्य होगा।
संघ का कहना है कि समय-समय पर पत्राचार और आग्रह के बावजूद शासन ने अब तक उनकी समस्याओं पर कोई सकारात्मक पहल नहीं की है, जिससे उनकी नाराजगी और असंतोष बढ़ता जा रहा है।
मुख्य मांगें
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नायब तहसीलदार/सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख के रिक्त पदों पर शीघ्र पदोन्नति।
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नायब तहसीलदार के 50% पद विभागीय पदोन्नति/भर्ती से भरने की व्यवस्था।
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मोबाइल, कंप्यूटर और इंटरनेट सहित तकनीकी संसाधन उपलब्ध कराना।
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ऑनलाइन मानचित्र बंटाकन अनुमोदन की समस्याओं का समाधान।
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रिक्त पदों पर शीघ्र भर्ती और अतिरिक्त प्रभार का भत्ता।
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सीमांकन एवं बंदोबस्त त्रुटि सुधार प्रकरणों की पूर्ववत समयावधि।
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सामान्य प्रशासन विभाग में लंबित मांगों का निस्तारण।
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मानवीय भूल पर न्यायालयीन कार्रवाई के स्थान पर विभागीय कार्रवाई।
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संवर्गों के विलय और मर्जिंग संबंधी निर्णय।
निरीक्षकों पर बढ़ा कार्यभार
संघ का कहना है कि सीमांकन, नक्शा बंटाकन और अन्य ऑनलाइन कार्यों का दबाव लगातार बढ़ रहा है। रिक्त पदों के कारण कई राजस्व निरीक्षकों को एक साथ दो से तीन सर्कलों का अतिरिक्त भार उठाना पड़ रहा है, जिससे वे मानसिक और शारीरिक तनाव की स्थिति में कार्य करने को मजबूर हैं।
संघ ने दोहराया कि यदि शासन उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं करता, तो राजस्व निरीक्षक संगठन को आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।