रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का नाम सुर्खियों में है। उनके 64वें जन्मदिन के अवसर पर पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रविंद्र चौबे ने ऐसा बयान दिया है, जिसने प्रदेश की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। चौबे ने साफ कहा कि प्रदेश की जनता चाहती है कि कांग्रेस की कमान एक बार फिर भूपेश बघेल संभालें।
रविंद्र चौबे ने कहा, “अगर कोई 2028 में फिर से किसान की सरकार बना सकता है, तो वह केवल भूपेश बघेल ही हैं। उनकी जमीनी पकड़ और किसानों से जुड़ाव उन्हें एक अलग पहचान देता है। बघेल ने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान किसान, मजदूर और आम जनता के हित में बड़े फैसले लिए थे। यही वजह है कि जनता आज भी उन्हें स्नेह और समर्थन देती है।”
चौबे के इस बयान को पार्टी के भीतर बढ़ती सियासी खींचतान से भी जोड़कर देखा जा रहा है। बघेल लंबे समय तक प्रदेश कांग्रेस का चेहरा रहे और 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को ऐतिहासिक जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। हालांकि, 2023 में हुए चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा और पार्टी विपक्ष में चली गई। इसके बाद से ही कांग्रेस में नए नेतृत्व बनाम पुराने नेतृत्व को लेकर अंदरखाने में बहस जारी है।
इधर, चौबे के इस बयान पर प्रदेश सरकार में स्कूल शिक्षा मंत्री गजेन्द्र यादव ने तीखा तंज कसा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं के पास अब सिर्फ बयानबाजी बची है। “भूपेश बघेल का कार्यकाल लोगों ने देखा है। किसानों के नाम पर राजनीति करने वाले कांग्रेस नेताओं को जनता ने नकार दिया है। 2023 की हार इसका सबूत है। 2028 में फिर से किसान के नाम पर गुमराह करने का सपना कांग्रेस देख सकती है, लेकिन जनता अब भ्रमित नहीं होगी।”
यादव ने आगे कहा कि भाजपा की सरकार किसानों, युवाओं और गरीबों के लिए ठोस योजनाओं पर काम कर रही है और यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है। “भूपेश बघेल का दौर अब बीत चुका है। कांग्रेस चाहे जितनी कोशिश कर ले, जनता अब भाजपा पर भरोसा कर रही है।”
विशेषज्ञों का मानना है कि चौबे का बयान सिर्फ जन्मदिन की बधाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कांग्रेस के भीतर नेतृत्व को लेकर चल रही बहस का हिस्सा है। प्रदेश कांग्रेस संगठन इस समय पुनर्गठन की प्रक्रिया से गुजर रहा है और पार्टी को आगामी निकाय चुनावों और फिर 2028 विधानसभा चुनाव के लिए नई रणनीति बनानी है। ऐसे में बघेल का नाम एक बार फिर से चर्चा में आना राजनीतिक दृष्टि से अहम माना जा रहा है।
कांग्रेस के कार्यकर्ता बघेल के समर्थन में सक्रिय दिखाई दे रहे हैं और सोशल मीडिया पर भी उनके पक्ष में बड़ी संख्या में संदेश साझा किए जा रहे हैं। वहीं भाजपा इस मौके को भुनाने में पीछे नहीं है और कांग्रेस को पिछली नाकामियों की याद दिलाकर जनता को साधने की कोशिश कर रही है।
कुल मिलाकर, रविंद्र चौबे का बयान आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ की राजनीति में नई बहस छेड़ सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस संगठन इस संदेश को कैसे लेता है और क्या वाकई भूपेश बघेल एक बार फिर कांग्रेस के सर्वमान्य नेता बनकर उभरते हैं।